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पिलानी का नाम कैसे पड़ा

200 साल पुरानी पिलानी एक बस्ती थी काठियावाड़ तक व्यापार होता था ताँबे के सिक्के ढाले जाते थे। शेखावाटी का सबसे चर्चित शहर पिलानी है ना केवल देश में बल्कि दुनिया में यह शिक्षा नगरी के नाम से प्रसिद्ध है। जहाँ आज़ादी से पहले कई स्कूलें और एंजिनीरिंग इंजिनीरिंग कॉलेज थे। देश का बड़ा औद्योगिक घराना बिड़ला परिवार इसी शहर से जुड़ा है। आज हम आपको पिलाने के बनने और शिक्षा नगरी के नाम से प्रसिद्ध होने की कहानी बताएंगे।

बाजरे वह चने की खेती इस क्षेत्र में बाजरे एवं चने की खेती होती थी। अधिकांश लोग बर्तन एवं औज़ार बनाने का काम करते थे। ताँबे के सिक्के भी यहाँ ढाले जाते थे। मिट्टी के बर्तनों का उपयोग होता था। खेती के अलावा अन्य कोई रोज़गार नहीं होने से लोग बाहर भी जाते थे। शुद्ध मारवाड़ी बोली जाती थी और उसमें हरियाणा का लहजा नहीं होता था।

आसपास दो बस्तियां थी।

क़रीब 200 साल पहले पिलानी की जगह दो बस्तियां थी एक नेरावास और दूसरी पिलानियावास। दोनों में अलग अलग समाज के लोग रहते थे। कुछ समय बाद दलेल सिंह नामक व्यक्ति ने दोनों बस्तियों को मिलाया और इसे दलेलगढ़ नाम दिया। लेकिन ये नाम ज़्यादा नहीं चला।

इस तरह है इसका नाम पिलानी हुआ

एक बार दुश्मनों ने दलेलगढ़ पर आक्रमण कर दिया। उस समय पिलानियां समाज के एक व्यक्ति ने अद्भुत शोर्य दिखाया जिससे दुश्मन हार गया। इसके बाद उसी के नाम पर इसे पिलानी कहा जाने लगा।.

काठियावाड़ तक होता था कारोबार

उस समय यहाँ के लोग काठियावाड़ तक कारोबार करते थे। ऐसे में वहाँ की वेशभूषा का असर यहाँ भी पड़ा।तब यहाँ लोगों की जीवनशैली साधारण थी। पानी का केवल एक कुआँ हुवा करता था।

Pilani

बिड़ला परिवार ने दिलायी पहचान

इस बस्ती के बीचों-बीच एक बड़ का पेड़ होता था ऐसे में इसे बड़ वाली पिलानी भी कहा गया। पिलानी में उस वक़्त बड़ा बदलाव हुआ जब शिवनारायण बिड़ला ने नाम कमाया। उनका कारोबार अच्छा चला तो लोग इस बस्ती को सेठों वाली पिलानी कहने लगे। बाद में इसी परिवार ने पिलानी को शिक्षा नगरी बनाया